Considerations To Know About sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥
ओं ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः check here शुभो भवेत।।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि